प्राचार्य की कलम से
"आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरितासउद्भिदः"
(हमारे पास चारों ओर से ऐसे कल्याणकारी विचार आते रहे
जो किसी से न दबे, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके एवं अज्ञात विषयों को प्रकट
करने वाले हो)
डा. मनराखन लाल
साहू शासकीय महाविद्यालय, जामुल, भिलाई, जिला-दुर्ग (छत्तीसगढ़) के आधिकारिक वेबसाईट
में आपका स्वागत है।
हमारे महाविद्यालय की यात्रा वर्ष 2018 में
उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शासकीय नवीन महाविद्यालय के रूप में प्रारंभ
हुई थी और अपनी स्थापना के एक वर्ष के पश्चात ही वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इसका नामकरण प्रख्यात क्षेत्रीय
समाजसेवी, साहित्यकार और राजनेता स्वर्गीय डा. मनराखनलाल साहू की पुण्य स्मृति में
उनके नाम पर कर दिया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के
मूल सिद्धांतों पर आधारित, हमारा महाविद्यालय एक ऐसी शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने
के लिए प्रतिबद्ध है, जो न केवल सशक्त और नवोन्मेषी है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक मूल्यों
और विरासत से भी गहराई से जुड़ी हुई है। हमारा लक्ष्य सीखने का एक ऐसा वातावरण बनाना
है, जो रचनात्मक सोच और शिक्षा के प्रति समग्र दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करे।
हम रटने
वाली पद्धति से हटकर अनुभवात्मक, बहु-विषयक और जिज्ञासा की भावना विकसित करने और व्यावहारिक
शिक्षा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जो उन्हें वास्तविक दुनिया की
चुनौतियों के लिए तैयार करती है। हमारा लक्ष्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना
है, जो न केवल अकादमिक रूप से कुशल हों, बल्कि नैतिक रूप से दृढ़ और सामाजिक रूप से
जागरूक भी हों तथा विद्यार्थियों को अपने स्वयं के सीखने के मार्ग चुनने की अनुमति
देता हो, जिससे वे आत्मनिर्भर होकर जीवन की चुनौतियों को सफलतापूर्वक हल कर सकें।
हमारी संस्था
NEP-2020 के मूल दर्शन - "शिक्षा को सभी के लिए सुलभ,
न्यायसंगत और उच्चतम गुणवत्ता" को बनाने के लिए समर्पित है।
हम एक ऐसे पारिस्थितिक- तंत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो विविधता, समानता,
समावेशन तथा सतत् विकास को महत्व देता है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक विद्यार्थी
को आगे बढ़ने का समान अवसर मिले।
हमारा महाविद्यालय एक शिक्षार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण
को बढ़ावा देता है, जहाँ विद्यार्थी अपनी शिक्षा में सक्रिय भागीदार होते हैं। हम आधुनिक
शिक्षण विधियों के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा एवं मूल्यों की एक मजबूत समझ के एकीकरण
पर जोर देते हुए विद्यार्थियों के कौशल विकास, रोजगार मूलक दृष्टिकोण एवं मूल्य संवर्द्धन
पाठ्यक्रम पर भी ध्यान केन्द्रित करते हैं।
महाविद्यालय में, शैक्षणिक मानकों के अलावा पाठ्येतर
गतिविधियों की एक विरासत भी है। हमारे छात्र खेल-कूद, वाद-विवाद, एन. एस. एस., रेड-क्रास,
रेड रिबन क्लब, महिला प्रकोष्ठ, सांस्कृतिक, कौशल उन्नयन एवं प्लेसमेंट-सेल के क्षेत्रों
में सक्रिय भागीदारी के साथ अपने शैक्षणिक जीवन को संतुलित करते हैं। महाविद्यालय समुदाय
विद्यार्थियों को न केवल परीक्षाओं के लिए, बल्कि ऐसे भविष्य के लिए भी तैयार करता
है जो अनुकूलनशीलता (adaptibility), समानुभूति
(empathy) और साझा
विकास (shared growth) को महत्व
देता है।
हमारे समर्पित संकाय सदस्य इस संस्था के आधार स्तंभ
हैं, जो विद्यार्थियों को भविष्य के लिए संवेदनशील एवं जागरूक नेतृत्व क्षमता विकसित
करने पर बल देते हैं। संकाय का यह दृष्टिकोण शैक्षणिक उत्कृष्टता को व्यावहारिक प्रदर्शन
के साथ मिश्रित करते हुए एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देता है जहाँ छात्र और संकाय एक-दूसरे
के साथ सीखते हैं।
मैं स्वयं को एक प्रशासक और अध्येता के रूप में
देखता हूँ, जो महाविद्यालय के समग्र विकास हेतु सतत् प्रयत्नशील रहता है।
अंत में, मैं अपने महाविद्यालय के विद्यार्थीगण
जो भावी राष्ट्र-निर्माता हैं, प्राध्यापकों एवं गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों का अपने
परिवार और टीम के सदस्य के रूप में आह्वान करता हूँ कि हम सभी अपने संस्थान की उतरोत्तर
प्रगति और राष्ट्र निर्माण के लिए संगठित, समर्पित और प्रतिबद्ध होकर अपनी-अपनी सक्रिय
भागीदारी निभाएँ।
(डा. रमा शंकर सिंह)
प्राचार्य